बुधवार, 15 अप्रैल 2009

सम्मान का अपमान तो मत कीजिए

क्रिकेट अब देश से बड़ा हो गया है और क्रिकेट के खिलाड़ी तो शायद इससे भी बड़े हो गए हैं। आप माने या न माने, इससे फर्क कोई नहीं पड़ता। देश के दो बड़े क्रिकेटर इसी मुगालते में जी रहे हैं। जी हां, महेंद्र सिंह धोनी और हरभजन सिंह, देश का सम्मानित अवॉर्ड पद्मश्री लेने के लिए सम्मान समारोह में नहीं गए। वजह, मीडिया की खबरों की माने, तो किसी ऐड फिल्म की शूटिंग में व्यस्त थे।
सम्मान समारोह में हाजिर नहीं हो पाना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन जिस वजह से ये खिलाड़ी वहां मौजूद नहीं हुए, ये दिल तोड़ने वाली बात जरूर है। क्या इनके लिए पैसा, देश से बड़ा हो गया है?
धोनी और हरभजन बहुत अच्छे खिलाड़ी हैं और क्रिकेट में इनका योगदान देश के लिए गर्व की बात है। लेकिन मान-सम्मान बढ़ाने वाले दूसरे खिलाड़ी भी देश में हैं। जरा याद कीजिए अभिनव बिंद्रा का ओलंपिक में गोल्ड मेडल। हमें तो पहलवान सुशील कुमार और पहलवान बिजेंद्र कुमार भी याद हैं। इन लोगों ने भी ओलंपिक में मेडल जीत पूरी दुनिया में भारत का सर ऊंचा किया है। देश को पहला ओलंपिक गोल्ड मिला या 52 साल बाद ओलंपिक कुश्ती में भारत को मेडल मिला था, तब निश्चिततौर पर देश के 125 करोड़ लोगों को, किसी मैच जीतने से ज्यादा खुशी मिली थी। बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल या जूनियर विम्बलडन विजेता यूकी भांबरी भी हमारे सरताज हैं। हर भारतीय का इन्होंने भी सिर ऊंचा किया है। और भी खिलाड़ियों की लंबी फेहरिस्त है, जिन पर हमें नाज है। लेकिन पद्मश्री के लिए चुना गया धोनी और हरभजन को, तो इन्हें भी इस सम्मान का अनादर नहीं करना चाहिए।
बहरहाल धोनी चुप हैं और हरभजन कह रहे हैं वो परिवार के साथ थे, इस लिए सम्मान समारोह में शामिल नहीं हुए। हरभजन जी, परिवार के साथ रहिए, जरूर रहिए, लेकिन पूरा देश भी आपका परिवार है, वो भी आपको सर-आंखों पर बैठाता है, उसका अपमान तो मत कीजिए।

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