मंगलवार, 29 सितंबर 2009

हिन्दी चीनी बाय-बाय

खबर छोटी है लेकिन चौंकाने वाली है और वक्त रहते संभल जाने की हिदायत से भरी हुई भी है। लंदन के संडे टाइंम्स में एक खबर छपी है। चीन का आम आदमी आज भी भारत को अपना दुश्मन समझता है।
ये खबर यकीनन चिंता की बात है और देश के नीति निर्धारकों के लिए नींद से जागने का आगाज भी। क्योंकि कोई भी सत्ता आवाम की मंशा को ज्यादा दिनों तक नजरअंदाज नहीं कर सकती। चीन के लोग अगर हमें दुश्मन मानते हैं तो वो1962 को दोहरा भी सकता है।
एक हम हैं कि चीन को आज भी अपना दुश्मन नहीं समझते। उससे हमारा मानसिक रिश्ता हिन्दी चीनी भाई-भाई का ही है और उम्मीद करते हैं कि चीन पंचशील के सिद्धांत के तहत प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करेगा। लेकिन ये खबर अगाह करती है कि चीन को रिश्ते और सिद्धांतों की परवाह नही है और उसकी हरकतों को हमें गंभीरता से लेने की जरुरत है।
1962 को भुला कर हाल के दिनों में हमने चीन के साथ बहुआयामी रिश्ते बनाने की कोशिश की हैं लेकिन चीन की तरफ से जो हरकतें हो रही हैं उसे नजरअंदाज करना 1962 से भी बड़ी भूल साबित हो सकती है। याद कीजिए कुछ दिनों पहले लद्दाख में चीन ने घुसपैठ की और उसके सैनिक पत्थरों पर लाल रंग से चीन लिख कर वापस चले गए। वहां चरवाहों, गडेरियों को परेशान करना आम बात है। मीडिया में घुसपैठ की खबर के आने के बाद ही राजनीतिक गलियारे में हलचल मची। उत्तराखंड में चीनी घुसपैठ की बात वहां के मुख्यमंत्री उठा चुके हैं और उन्होंने घुसपैठ रोकने के लिए केंद्र से विशेष सुरक्षाबल की भी मांग की है। वो अक्साई चीन का इलाका अब तक दबाए बैठा है और अरुणाचल प्रदेश पर उसकी गिद्ध नजर टिकी हुई है। हालांकि चीन की ये हरकतें नई नहीं है लेकिन हाल के दिनों में इसमें इजाफा हुआ है और उसके तेवर में भी गर्मी बढ़ी है।
चीन हमारे पड़ोसियों को भी हमारे खिलाफ खड़ा करने की चुपचाप साजिश करता रहा है। चीन का ही असर है कि भारत के खिलाफ नेपाल के सुर भी अब बदले बदले नजर आते हैं। नेपाल का झुकाव आज चीन की तरफ ज्यादा है। चीन नकली नोटों की तस्करी के लिए पाकिस्तान को अपनी जमीन मुहैया करा रहा है। पाकिस्तान के तस्कर नेपाल के रास्ते भारत की अर्थ व्यवस्था को तोड़ने में जुटे हैं।
दुनिया के राजनीतिक मोर्चे पर चीन हमारा सबसे बड़ा विरोधी है लेकिन उसके घटिया सामान देश के गली-मोहल्लों में धड़ल्ले से बिक रहे हैं। भारत के साथ घरेलू व्यापार से चीन को हर साल अरबों रुपये की कमाई होती है। लेकिन चीन का पाकिस्तान प्रेम और उसके परमाणु विकास में गुपचुप मदद की बात किसी से छिपी नहीं है। यानी हम से कमाए पैसे का चीन अपरोक्ष रूप से हमारे खिलाफ ही इस्तेमाल करता रहा है।
ये तो कुछ ऐसी बातें हैं जो सार्वजनिक हैं। लेकिन कई बातें ऐसी भी हैं जो हम तक मुश्किल से और कभी-कभी ही पहुंच पाती हैं। चीन के बुद्धिजीवी हमारे बारे में क्या सोचते हैं जरा इसकी भी बानगी देखिए।
हाल में ही चाइना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रटीजिक स्टडीज की वेबसाइट पर भारत विरोधी लेख जारी हुआ है। चीनी विदेश मंत्रालय को सलाह देने वाली इस संस्था के लेख में कहा गया है कि चीन को पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल जैसे मित्र देशों की मदद से भारत को 30 टुकडों में बांट देना चाहिए। लेख में भारत को हिंदू धार्मिक राष्ट्र के रूप में प्रचारित किया गया है। अब ऐसे चीन को क्या कहेंगे।
यकीनन वक्त आ गया है कि हिन्दी चीनी भाई भाई को बाय बाय कह हम चीन के साथ रिश्तों को भावना नहीं, व्यवहार के आधार पर तौलें, नहीं तो सचमुच एक दिन भेड़िया आ जाएगा, हम हाथ मलते रह जाएंगे।