मंगलवार, 7 अप्रैल 2009

दिशाहीन मीडिया

गृह मंत्री पी चिदंबरम पर एक पत्रकार ने जूता फेंक पत्रकारिता ही नहीं, पूरे देश को शर्मशार कर दिया है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से ऐसी ओछी हरकत की कतई उम्मीद नहीं की जा सकती।
वाकया यू हुआ कि दिल्ली में चिदंबरम की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद दैनिक जागरण के पत्रकार जरनैल सिंह ने जगदीश टाइटलर को सीबीआई से क्लीन चिट मिलने को लेकर सवाल पूछे। चिदंबरम ने जवाब में कहा कि सीबीआई गृह मंत्रालय के अधीन नहीं आती और सीबीआई ने अभी कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी है, इस लिए कोर्ट के फैसले का सबको इंतजार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई जरूरी नहीं की कोर्ट सीबीआई की रिपोर्ट को मान ही ले। अदालत अगर जरूरी समझेगी, तो मामले की फिर से जांच के भी आदेश दे सकती है। लेकिन पत्रकार महोदय वहां चिदंबरम का जवाब सुनने नहीं, खुद को हीरो साबित करने पहुंचे थे। जनरैल ने जवाब अनसुना करते हुए चिदंबरम की तरफ जूता उछाल दिया। गुमनामी में जीने वाला अदना पत्रकार एक झटके में मीडिया की सुर्खिया बन गया।
चिंदंबरम जवाब देते वक्त भी शांत थे और इस ओछी हरकत के बाद भी शांत रहे। चिदंबरम ने जरनैल को माफ कर दिया है और कांग्रेस ने भी कोई मामला दर्ज नहीं किया। अब जरनैल को भी अपनी करनी पर पछतावा है। अब वो अपनी गलती मान रहे हैं और चिदंबरम से माफी भी मांगना चाहते हैं। मामला रफा-दफा हो गया है। लेकिन मीडिया तो पढ़े लिखे लोगों की जमात है और ये जमात आखिर किस दिशा में जा रही है। ये सोचने वाली बात जरूर है। क्योंकि आज की हरकत पत्रकारिता के पतन का आखिरी पायदान ही है। भ्रष्ट पत्रकार, बेईमान पत्रकारों की कतार से बहुत आगे। जरनैल की इस ओछी हरकत पर पूरी मीडिया को चिंतन करने की जरूरत है। बुद्धिजीवियों याद रखिए भारत बगदाद नहीं, क्योंकि हमारी तहजीब ऐसी हरकतों की इजाजत नहीं देती। बुश पर जूता फेंकने वाला भले् ही हीरो बन गया हो, यहां ऐसी हरकत करने वाला जीरो ही रहेगा।

1 टिप्पणी:

  1. bahut buri sthiti hai, bharat main na hi irak jaisi sthiti hai na hi zarurat

    हिन्दी चिटठा जगत में आपका स्वागत है , ऐसे ही अपनी लेखनी से हमें परिचित करते रहें

    धन्यवाद
    मयूर दुबे
    अपनी अपनी डगर

    जवाब देंहटाएं