शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

ये तो हद है!

पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के मुंह पर तमाचा जड़ दिया है। बातचीत के टेबल से उठते ही उसने असली चेहरा दिखा ही दिया। पाकिस्तान ने साफ कर दिया है कि कश्मीर को अलग करने के लिए वो नैतिक समर्थन देता रहेगा। भारत चाहे जितनी नाक रगड़ ले वो हाफिज सईद को गिरफ्तार नहीं करेगा और तो और उसने 26/11 हमले में भारत के दिए सबूतों को भी साहित्य का पुलंदा बता दिया। आप विश्वास कीजिए पाकिस्तान के एक नुमाइंदे ने भारत में ही, भारत के भरोसे और दावों की धज्जियां उड़ा दी और पूरा देश उसे देखता और सुनता रहा।

पाकिस्तान के विदेश सचिव सलमान बशीर दिल्ली में २५ फरवरी को सचिव स्तर की बैठक में शामिल हुए और बैठक के थोड़ी देर बाद ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी मंशा जाहिर कर दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बशीर ने पाकिस्तान के इरादे साफ किए, परमाणु ताकत होने का अहसास दिलाया और साथ ही नसीहत भी दे डाली कि भारत लेक्चर देना बंद करे।

बातचीत खत्म होने के बाद दोनों देशों के विदेश सचिवों ने अलग-अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस की। निरुपमा राव कूटनीतिक दूत के तौर पर सात मिनट में दोनों देशों की बातचीत का सार-संक्षेप बता कर चली गई। लेकिन बशीर अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में 70 मिनट तक बोलते रहे। उन्होंने बलूचिस्तान से लेकर सियाचिन तक भारत को घेरा, दिल्ली में बैठ कर 26/11 के आतंकियों की पीठ थपथपाई और दिल्ली में ही ऐलान कर दिया कि पाकिस्तान कश्मीर में भारत के खिलाफ शैडो वॉर जारी रखेगा। भारत लगातार मांग कर रहा है कि 26/11 के मास्टर माइंड हाफिज सईद को पाकिस्तान गिरफ्तार करे और उस पर आतंकी कानून के तहत कार्रवाई करे। लेकिन बशीर की माने तो पाकिस्तानी कानून के तहत हाफिज के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती। भारत ने फिर तीन डोजियर सौंपे हैं। पाकिस्तान इस पर गंभीरता से अमल करेगा, इस भ्रम रहने की शायद किसी को जरूरत नहीं। 70 मिनट में बशीर ने जो कुछ कहा, उसका मतलब तो यही निकाला जा सकता है कि पाकिस्तान अपने पुराने स्टैंड पर ही कायम है और भारत की उसे अब भी परवाह नहीं। अब भारत को तय करना है कि पाकिस्तान के साथ उसे कितने कदम आगे चलना है।

बहरहाल इस बातचीत से कुछ निकले या न निकले, पाकिस्तान ने कूटनीतिक बाजी तो मार ली है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए पाकिस्तान को इस बार दिल्ली में बैठ कर मीडिया के जरिए भारतीय जनता को सीधा संबोधित करने और अपनी मंशा जाहिर करने का मौका मिल गया और कूटनीति के मैदान में भारत यहीं हार गया। बैठक के बाद अगर साझा बयान जारी होते तो शायद पाकिस्तान को इतनी निर्लजता से भारत के भरोसे की धज्जियां उड़ाने का मौका नहीं मिलता। साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में वक्त भी तय होता है और बातचीत का एजेंडा भी। और ये सब तय करता है होस्ट। इस प्रक्रिया में बशीर के मुंह पर कम से कम लगाम तो लगी रहती। खैर हमारे घर में ही बैठकर हमारी लानत-मलानत करने के लिए पाकिस्तान तुम्हारी हिम्मत की तो दाद देनी ही होगी।

बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

कुछ पल महानायक के साथ

ये मेरे लिए एक सुखद क्षण है और दिली इच्छा है कि आप भी मेरी खुशी में शामिल हों। हर दिन की तरह 28 जनवरी की सुबह मेरे लिए आम सुबह थी, लेकिन दोपहर बाद का समय मेरे लिए खास बन गया। दोपहर की शिफ्ट में ऑफिस पहुंचा तो पता चला कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन आईबीएन 7 के आज गेस्ट एडिटर हैं। करीब साढ़े तीन बजे अमिताभ IBN7 के दफ्तर आए और दिन की बड़ी खबरों पर चर्चा के बाद हर डेस्क के काम करने के तरीकों को भी उन्होंने देखा-परखा। इसी सिलसिले में टिकर डेस्क पर भी उन्होंने करीब पांच मिनट बिताए। टिकर के लिए खबरों के चुनाव का तरीका, ब्रेकिंग न्यूज, फ्लैश सबके बारे में उन्होंने बारिकी से जानना चाहा और उन्हें विस्तार से समझाने का मुझे मौका मिला। पांच मिनट में किसी को परखा नहीं जा सकता। लेकिन अमिताभ बेमिसाल हैं। बातचीत आखिरी दौर में थी, तभी टोका-टोकी की वजह से उनका ध्यान दूसरी तरफ चला गया। बात खत्म कर अमिताभ फिर मेरी तरफ मुड़े, कहा, बहुत अच्छा और हाथ मिलाने के लिए दाहिना हाथ आगे बढ़ा दिया। करीब दस सेकेंड तक मुस्कुराते रहे और फिर आगे बढ़ गए। भीड़ भरे माहौल में मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी। लेकिन नम्र-विनम्र अमिताभ शायद इसी लिए बेमिसाल हैं क्योंकि आम लोग भी उनके लिए खास हैं और शायद इसी लिए वो भी आम लोगों के खास हैं। खास लोगों के साथ कुछ पल बिताने के जिंदगी में कई मौके आए, लेकिन ये पांच मिनट मेरे हर अमूल्य पल पर भारी है।