सोमवार, 6 अप्रैल 2009

मीडिया गुरु पाक

पाकिस्तान में आतंकी पैदा होते हैं, वहां कानून की नहीं चलती। लोगों में शिक्षा की कमी है, पाकिस्तान सर से पांव तक कर्ज में डूबा है। सरकार अस्थिर है और अधिकारी भ्रष्ट है। कबिलाई इलाके में आतंकी खुलेआम हथियार लेकर घूमते हैं और तालिबान, अलकायदा के लोग धमाका कर कही भी, कभी भी सौ पचास लोगों को आसानी से मौत की नींद सुला जाते हैं। पाकिस्तान के आतंकियों से दुनिया परेशान है और यही आज के पाकिस्तान की तस्वीर है।
लेकिन हम आप भले ही गौर न करें, वहां एक ताकत तबाही के राक्षसों से लगातार लड़ाई जारी रखे हुए हैं। जी हां बात पाकिस्तानी मीडिया की कर रहा हूं। पाकिस्तान में प्राइवेट इलेक्ट्रोनिक मीडिया बहुत ही शुरुआती दौर में है। लेकिन इसके साहस के आगे हिन्दुस्तानी इलेक्ट्रिनिक मीडिया कहीं नहीं टिकती।
आप पूछेंगे कि ऐसा क्या हो रहा है वहां, जो हिन्दुस्तान की मीडिया नहीं कर रही। तो सुनिए-बद से बदतर हालात में भी पाकिस्तानी मीडिया इंसाफ की लड़ाई में इमानदारी और पूरी जिम्मेदारी के साथ खड़ी है और आज भी पत्रकारिता वहां मिशन ही दिख रहा है, हिन्दुस्तान की तरह प्रोफेशन नहीं। इमानदारी इतनी कि वहां की पत्रकारिता हिंदुस्तान-पाकिस्तान में फर्क नहीं कर रही।
याद है कसाब मामला। वो पाकिस्तान मीडिया का साहसी रोल ही रहा कि पाकिस्तान को कसाब का पाकिस्तानी नागरिक होना कबूल करना पड़ा। जियो टीवी ने स्टिंग ऑपरेशन कर दुनिया को बता दिया कि कसाब फरीदकोट का ही रहने वाला है। पाक मीडिया के खुलासे से भारत का पक्ष मजबूत हुआ और पाकिस्तान मजबूर।
विदेश ही नहीं, देसी मोर्चे पर भी वहां की मीडिया ने लाजवाब कर दिया है। कुछ नमूना देखिए, आप भी कायल हो जाएंगे।
अभी थोड़े दिन पहले पाकिस्तान में जरदारी के अड़ियल रवैये से राजनीतिक संकट पैदा हो गया था, और लोग जब सड़कों पर उतरे तो, वहां की मीडिया सरकार के साथ नहीं, आवाम के साथ दिखी। सरकार पर पर इतना दबाव बना कि उसे् नवाज शरीफ के मामले को रफा-दफा करना पड़ा, चीफ जस्टिस इफ्तेखार चौधरी की बहाली हुई। चौथे से स्तंभ ने जम्हूरियत के दो स्तंभों विधायिका और न्यायपालिका को नई जिंदगी दी। समाज के सजग प्रहरी के तौर पर मीडिया की यही ड्यूटी है और वहीं के पत्रकार इसे बखूबी निभा भी रहे हैं।
हिम्मत की दूसरी बानगी देखिए। दुनिया को भले ही तालिबान और अलकायदा के आतंकियों से डर लगता हो, पाक मीडिया को इनसे कोई डर नहीं। तालिबानियों ने कुछ दिन पहले जिओ टीवी के पत्रकार की हत्या कर दी। सोचा होगा, पत्रकार डर जाएंगे, कलम बंद हो जाएगी। लेकिन पाकिस्तान में तलवार कलम को नहीं झुका पाई है।
स्वात घाटी में तालिबानियों ने एक नाबालिग को इसलिए सरेआम कोड़े से पीटा, क्योंकि उसने आतंकी से शादी करने से इनकार कर दिया था। तालिबानियों के गढ़ और मौत के मुंह में घुस कर मीडिया ने एक बार फिर अपना फर्ज निभाया है। कोड़े से पिटती लड़की का फुटेज केवल पाकिस्तान में लोगों ने देखा, बल्कि दुनिया ने भी इसे देखा। सरकार पर इतना तबाव बढ़ा कि अब उसे इस मामले की जांच की आदेश देने पड़े हैं।
जहां हर पल बंदूकें गरजती हों, जहां आतंकी इंसान को भेड़ बकरियों की तरह मार रहे हों, जहां सरकार असहाय हो, वहां मीडिया का ऐसा साहस-जय हो

2 टिप्‍पणियां:

  1. "जहां हर पल बंदूकें गरजती हों, जहां आतंकी इंसान को भेड़ बकरियों की तरह मार रहे हों, जहां सरकार असहाय हो, वहां मीडिया का ऐसा साहस-जय हो "
    सुंदर अति सुंदर लिखते रहिये .......
    आपकी अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा
    htt:\\ paharibaba.blogspost.comm

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