गुरुवार, 9 अप्रैल 2009

ये इंसाफ की शुरुआत है !

आखिरकार कांग्रेस ने जगदीश टाइटलर का टिकट काट दिया है। टाइटलर के अलावा सज्जन कुमार को भी पार्टी ने चुनाव मैदान से हटा दिया है। कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने ऐलान किया कि दोनों इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस का ये फैसला 25 साल से इंसाफ लड़ाई लड़ रहे सिख समुदाय की पहली जीत है। ये पहला मौका है जब 84 के दंगों के आरोपियों को अदालत से बाहर, जनता की अदालत में कोई सजा मिली है। कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले से 84 के सिख विरोधी दंगों में मारे गए तीन हजार लोगों के पीड़ित परिवार को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी।
जगदीश टाइटलर ये मानने के लिए तैयार नहीं कि सिख दंगों में उनका हाथ था। आज मीडिया को बुला कर फिर उन्होंने खुद को पाक-साफ बताया और अपने खिलाफ चल रहे सिखों के आंदोलन के लिए मीडिया को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। टाइटलर का कहना था कि 12 कमीशन बने, जिसमें 13,500 हलफनामे दायर हुए और किसी में उनका नाम नहीं है। उनके खिलाफ सिर्फ दो हलफनामे हैं ,जिसकी जांच हो रही है। उनकी दलील है कि एनडीए सरकार में भी उन्हें इस मामले में क्लीन चिट मिल चुकी है।
लेकिन सिख समुदाय टाइटलर और सज्जन कुमार को माफ करने को तैयार नहीं। इनका आरोप है कि सरकार सीबीआई पर दबाव डाल रही है और इसी लिए इन दो बड़े नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही।
उधर दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में आज सीबीआई ने अपना जो रुख दिखाया है उससे भी तय है कि दंगा पीड़ितों को अभी लंबी लड़ाई लड़नी है। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में जगदीश टाइटलर को क्लीन चिट दे दी है और इस रिपोर्ट को कोर्ट माने या न माने, अदालत में इसी पर आज सुनवाई थी। सुनवाई के दौरान झूठी दलील देकर सीबीआई ने कोर्ट को ही गुमराह करने की कोशिश की और अदालत के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठा दिए। अदालत ने सीबीआई को फटकार लगाई, जांच के लिए सीबीआई से दो टेप मांगे अब केस की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।
बहरहाल चुनाव करीब है इस लिए कांग्रेस ने इन दोनों का टिकट काट
सिख समुदाय में बढ़ते आक्रोश को कम करने की कोशिश की है और इसे अच्छी शुरुआत भी माना जा सकता है। लेकिन साथ ही न्याय व्यवस्था में सुधार जरूरत भी है। क्योंकि जस्टिस डीले, जस्टिस डिनाय। इंसाफ के लिए लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी इंतजार करना पड़े , तो ऐसे न्याय का क्या फायदा।

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