सोमवार, 13 अप्रैल 2009

झांसे का राजा

महासमर की भेरी गूंज उठी है। सत्ता का फाइनल करीब है और कुर्सी के लिए नेता लाव-लश्कर के साथ चुनावी जंग में कूद पड़े हैं। जीत का दावा हर कोई कर रहा है। कोई तीसरा मोर्चा बना रहा है तो शरद पवार जैसे नेता यूपीए से मुंह मोड़ने का दिखावा कर, तीसरे मोर्चे के सहारे पीएम की कुर्सी की राह तलाश रहे हैं। पासवान, लालू, मुलायम चौथा मोर्चा बना कर किंग न सही, किंग मेकर बनने की जुगाड़ बैठा रहे हैं। सत्ता से किनारा कर दिए गए लेफ्ट को मायावती का आसरा है।
खींचतान इतनी है कि यूपीए में सोनिया, शरद पवार को नहीं रोक पा रहीं और एनडीए में आडवाणी को नीतीश का साथ छूटता दिख रहा है। गठबंधन में सबसे करीबी रहे लालू यादव की बिहार में जब सोनिया गांधी आलोचना करती हैं और नीतीश बीजेपी के साथ तालमेल पर अफसोस जताते हैं तो साफ दिख रहा है कि अभी नहीं तो, चुनाव के बाद कुछ अलग तरह की खिचड़ी जरूर पकेगी।
बहरहाल नेताओं की अब तक की बहसबाजी से ये तो साफ हो गया है कि सबको
अपनी कुर्सी की ही चिंता है। जनता की तो कतई नहीं। इस लिए इस चुनाव में किसी पार्टी के पास जनता के लिए कोई मुद्दा भी नहीं है।
अभी पार्टियों के बीच एक दूसरे को पछाड़ने के लिए जो बहस जारी है उसमें विकास की बात नहीं हो रही, प्रधानमंत्री के उम्र पर वार-पलटवार हो रहे हैं। नरेंद्र मोदी कांग्रेस को पहले बुढ़िया, फिर गुड़िया कहते हैं, तो प्रियंका गांधी नरेंद्र मोदी, आडवाणी को जवान बता व्यग्य की मुस्कान छोड़ रही है। आडवाणी, मनमोहन को कमजोर बता रहे हैं, तो कभी नहीं बोलने वाले मनमोहन तिलमिला कर आडवाणी की बखिया उधेड़ रहे हैं। राहुल गांधी पीएम होंगे या नहीं, इसकी चिंता कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी को दिख रही है।
तो जनता -जनारदनों इस बार की लड़ाई में आप कहीं नहीं हो। इस बार की लड़ाई, राजाओं की अपनी है। जनता भी इसे समझ चुकी है। राजनीतिक ड्रामेबाजी जारी है और जनता, रिंग मास्टर को रोल में खूब चटकारे लेकर खामोशी से तमाशा देख रही है। वो खुश है, चलो इस बार इन झांसे के राजाओं को अपनी ही पड़ी है, वर्ना सब लंबे चौड़े वादों का पाशा फेंक उसकी सरदर्दी बढ़ा जाते। लोगों के लिए तय करना मुश्किल हो जाता कि किसे वोट दें और किसे न दें।
बहरहाल जनता की खामोशी ने ही सभी पार्टियों की धड़कन बढ़ा दी है। सबको डर सता रहा है कि कहीं वोट की उलटी चोट उन पर ही न पड़ जाए। इसीलिए लोगों को झांसे में रखने के लिए तमाशा जारी रखना उनकी मजबूरी भी है
तो देखते रहिए मनोरंजन का उम्दा तमाशा वो भी बिल्कुल मुफ्त।

1 टिप्पणी:

  1. सत्ता के सिद्धान्त की एक अनोखी बात।
    कहते हैं अपना जिसे उसका ही प्रतिघात।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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