शनिवार, 11 अप्रैल 2009

आ गईं हैं कैट !

लड़कियों को अदना समझने वाले लड़कों, होशियार। अब घर के साथ, दफ्तर के मैनेजमेंट में भी जल्द ही लड़कियों का दबदबा होगा और अपनी बुद्धि पर इतराने, इठलाने वाले लड़के बॉस-बॉस कह कर उनके पीछे घुमते नजर आएंगे। जी हैं, कैट की परीक्षा में पिछले साल के मुकाबले इस बार तीनगुना ज्यादा लड़कियां सफल हुई हैं।
आईआईएम अहमदाबाद में पिछले साल इनका प्रतिनिधित्व मात्र 6 फीसदी था, वहीं इस साल ये बढ़कर 19 फीसदी हो गया है। यानी हर पांच लड़कों पर एक लड़की ने अपने लिए सीट रिजर्व कर ली है।
ये अचानक नहीं हुआ है। आईआईएम में लड़कियों की तादाद बढ़ने के पीछे उनकी वर्षों पुरानी मेहनत इस बार रंग लाई है । दरअसल इस बार कैट की परीक्षा में दसवीं और बारहवीं के नतीजे को भी पहली बार तरजीह दी गई है। अब ये बात किसी से छिपी नहीं कि इन दोनों परीक्षाओं में लड़कियां हमेशा लड़कों से बाजी मारती रही हैं। और इनका यही मेहनत इस बार कैट की परीक्षा में काम कर गया।
ये भी सच है कि लड़िकयां शुरुआती पढ़ाई में हमेशा लड़कों से आगे रहती हैं। लेकिन जब बात उच्च, तकनीकी या किसी खास शिक्षा की आती है, जिसमें ट्रेनिंग या कोचिंग की जरूरत होती है, ज्यादतर परिवारों में लड़कियों को दबा दिया जाता हैं और लड़कों को आगे बढ़ा दिया जाता है। बड़े बूढ़े ये कह कर लड़कियों को दबा देते हैं कि इन्हें ज्यादा पढ़ा कर क्या होगा, अंत में तो इन्हें घर-गृहस्थी ही संभालनी है।
कहावत है कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, और लड़कियों की प्रतिभा को आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्था ने भी पहचान लिया है।

1 टिप्पणी:

  1. लड़किया अगर पढ़ाई में आगे आएं तो ठीक लेकिन बहुत सी लड़कियाँ तो लड़कों से बराबरी के अर्थ कुछ और ही ले रहीं है जिस के चलते अश्लीलता और वल्गैरिटी को बढ़ावा मिल रहा है उस पर भी ध्यान दें।
    पढ़ाई में अव्वल आने पर लड़कों को पछाड़ने वाली लड़कियों को मेरा सलाम। वलगैरिटी को बढ़ावा देने वाली युवतियों को इससे सीख लेनी चाहिए।

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