शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

हमदम, चीनी कम है चीनी कम!

आजकल सुबह की प्याली कुछ ज्यादा ही कड़वी हो गई है। दूधवाला, न तो दूध में पानी मिला रहा है और न ही टेस्ट बदलने के लिए श्रीमतीजी चाय में कालीमिर्च डाल रही हैं, फिर भी महंगे से महंगे ब्रांड की चाय भी सुबह-सुबह स्फूर्ति और ताजगी नहीं जगा पा रही है। स्फूर्ति जगाए, ताजगी लाए..., धत्... सब बकवास। सुबह- सुबह मुंह में जो कड़वाहट भर जाती है, वो दिनभर खत्म होने का नाम नहीं लेती।
दरअसल हर घर में इन दिनों मिठास पर डाका पड़ गया है। चाय, दूध सबसे चीनी गायब है। एक महीने में चीनी की कीमत इतनी बढ़ गई है कि आजकल दुकान पर पहुंचते ही लोगों की जेब, चीनी को दूर से ही नमस्कार करने लगी है। बोरियों में भरी चीनी देखकर जी तो हर किसी का ललचाता है, लेकिन कीमत की तख्ती मायूस कर देती है और जेब कहती है...छोड़ो यार, चीनी कौन सी पेट भरने की चीज है, चावल खरीद कर ही घर लौट चलो। चीनी का भाव इन दिनों 35 रुपये चल रहा है। शादी-विवाह का मौसम नहीं, पर्व-त्योहार भी दूर हैं, फिर भी लोग समझ नहीं पा रहे कि चीनी में अचानक आग क्यों लग गई है?
तो सुनिए, दरअसल ये सब एक मंत्रीजी की कृपा है। मंत्रीजी की एक आकाशवाणी ने सोये हुए भस्मासुरों को जगा दिया और वो रातोंरात चीनी का स्टॉक निगल गए। जी हां यही सच्चाई है और इस सच्चाई का बयान खुद कृषि मंत्री शरद पवार ने किया है। पवार ने सिर्फ इतना कहा कि इस साल चीनी के उत्पादन में गिरावट आएगी। मंत्रीजी तो बयान देकर सो गए, लेकिन इस बयान से जमाखोरों की नींद खुल गई। बाजार में जमाखोर सक्रिय हो गए और मुनाफे के लिए लाखों क्विंटल चीनी गोदामों में सील कर दी। जब तक ये बात किसी को समझ आती, देर हो चुकी थी और चीनी की कीमत रॉकेट की तरह आसमान में पहुंच गई, मुनाफखोर चांदी काटने लगे और आम आदमी मिठास से महरूम हो गया।
खैर अब सरकार जागी है और महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कई जगहों पर छापे में हजारों क्विंटल चीनी बरामद कर ली गई है। टास्क फोर्स भी बन रहे हैं और जमाखोरों की धरपकड़ भी जारी है। लेकिन एक मिनट रुकिए। बहुत खुश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इतनी कवायद से आपके प्याले में जल्द मिठास नहीं लौटगी। जब्त चीनी जमाखोरों के गोदाम से निकल कर सरकारी गोदामों में पहुंच गई हैं और कागजी खानापूर्ति के बाद ही ये बाजार में आएगी। यानी आज जब्त गई चीनी को बाजार में आने में महीने-दो महीने तो लग ही जाएंगे। इस लिए दाम बहुत जल्द कम होने के आसार तो फिलहाल नहीं ही दिखते।
चिंता एक और बात की है। मंत्री जी ने कहा चीनी का उत्पादन कम होगा, तो बाजार से चीनी छूमंतर हो गई। मंत्रीजी ने ये भी कहा है कि धान की पैदावार में भी कमी आएगी, तो क्या आने वाले दिनों में थाली से चावल भी गायब हो जाएगा। आम आदमी को डर सता रहा है कि अगर प्रशासन का रवैया ढीला रहा तो जमाखोरों को फिर कोई नहीं रोक पाएगा।
बहरहाल कड़वी सच्चाई यही है कि चीनी के रंग-ढंग ने लोगों के दिमाग की ताजगी छिन ली है। एक प्याली कड़वी चाय के साथ सुबह की शुरुआत कैसी होती है, जिन्हें चाय की आदत है, जरा उनसे ही पूछ कर देखिए। मजे की बात है कि खराब चाय के बहाने रोज-रोज पत्नी को झिड़कियां सुनाने वाले पति इनदिनों मौन हैं, क्योंकि श्रीमतीजी कह रही हैं- मेरे हमदम, चीनी कम है, चीनी कम!

2 टिप्‍पणियां:

  1. महगी शक्कर ने तो गरीबो की चाय भी छुड़वा दी है .

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  2. देखा जाये तो अच्छा भी है इसी बहाने चाय भी कम हो जायेगी।

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